दरभंगा।पूजाकेलिएअपनेघरसेअधिकउपयुक्तजगहकोईनहीं।संपूर्णआर्यावर्तपवित्रभूमिहै।मिथिलातोयज्ञभूमिरहीहै।ऐसेमेंहमेंअपनेघरमेंहीपूजा-पाठ,जपवहवनआदिकर्मकरनेचाहिए।वर्तमानपरिस्थितिमेंयहऔरआवश्यकहोगयाहै।पूजाकेलिएकिसीविशेषस्थानपरजानेकीकोईजरूरतनहीं।यहकहनाहैमिर्जापुरस्थितमलेच्छमर्दिनीमंदिरकेपुजारीनारायणपाठकका।कहतेहैंकिभीड़तोमेलेमेंजुटतीहै,जोअभीकेहालातमेंखतरनाकहोचुकाहै।ऐसेमेंलोगोंकोअपनेघरपरहीआराधनाकरनीचाहिए।पंडितझानेकहाकिभक्तिहमेशाव्यक्तिगतहोतीहै।आस्थाकेसामाजिकरणकेतहतहमारेयहांमंदिरसमेतअन्यपूजास्थलबनाएगएहैं।इसकेतहतहमारेयहांविशेषमौकोंपरप्रतिमास्थापितकरपूजनकीपरंपराशुरूहुईजिसमेंसमाजकेसभीवर्गकेलोगजुटतेहैंऔरएकसाथदेवी-देवताओंकीपूजा-पाठकरतेहैं।लेकिन,वर्तमानपरिस्थितिमेंयहविनाशकारीसाबितहोसकताहै।वर्तमानमेंजिसबीमारीकाप्रकोपहैवहएक-दूसरेकेसंपर्कसेहीफैलताहै।इसप्रकोपसेबचनेकेलिएजरूरीहैकिहमघरकेभीतरहीरहेंऔरअपनावअपनेपरिवारकीसुरक्षाकाध्यानरखें।घरपरहीरहकरदेवीकीआराधनाकरें।प्रतिदिनसुबहस्नानकरदुर्गासप्तशतीकापाठकरें।जपवध्यानभीघरमेंरहकरहीकरें।मंदिरोंकोआमलोगोंकेलिएबंदकरदियागयाहै।ऐसेमेंमंदिरकेलिएघरसेबिल्कुलनानिकलें।
आस्थाकाकेंद्र:
शक्तिउपासनाकेप्रमुखकेंद्रमिथिलाक्षेत्रमेंइसमंदिरकामहत्ववमांमलेच्छमर्दिनीकालीकीमहिमाप्रमुखस्थानरखतीहै।स्थानीयलोगोंकाकहनाहैकिमांकीप्रतिमाकीस्थापनासैकड़ोंवर्षपहलेकीगई।मान्यताओंकेअनुसारतालाबकीखुदाईकेक्रममेंमांकीप्रतिमालोगोंकोमिलीऔरउन्हेंस्थापितकरविधिपूर्वकपूजा-पाठकियागया।धीरे-धीरेमांमलेच्छमर्दिनीकीमहिमाकाप्रसारहोनेलगाऔरइनकेभक्तोंकीसंख्यालगातारबढ़तीगई।वर्ष2003सेइसकेसंचालनकेलिएबिहारराज्यधार्मिकन्यासपर्षदनेएकसमितिकागठनकरदियाहै।