नईदिल्ली,प्रत्यूषरंजन।कोविड-19पैनडेमिककीवजहसेपिछलेसालमार्चसेअबतकछोटेबच्चोंऔरयुवाओंकीस्कूलीशिक्षाकाफीप्रभावितहुईहै।इससेबच्चोंकेसाथ-साथउनकेपैरेंट्सकेमेंटलहेल्थपरभीकाफीअसरदेखनेकोमिलाहै।दूसरीओर,बच्चेऑनलाइनक्लासेजकररहेहैंऔरआउटडोरगेमकीजगहमोबाइलगेमज्यादाखेलरहेहैं।इससेउनकास्क्रीनटाइमभीकाफीअधिकबढ़ाहै।इसविषयपरविस्तारसेचर्चाकरनेकेलिएजागरणडायलॉग्ज़केमाध्यमसे,जागरणन्यूमीडियाकेसीनियरएडिटरPratyushRanjanनेडॉ.यास्मीनअलीहक़,जोभारतमेंयूनिसेफकीप्रतिनिधिहैंऔरडॉ.सौमित्रपथारे(निदेशक,मानसिकस्वास्थ्यकानूनएवंनीतिकेंद्र,आईएलएस(पुणे))सेबातचीतकी।
पेशहैंबातचीतकेकुछअंश:
कोविड-19पैनडेमिककाबच्चों,उनकेपैरेंट्सऔरयुवाओंकेमेंटलहेल्थपरकिसतरहकाइम्पैक्टदेखनेकोमिलाहै?
डॉ.यास्मीन:जैसाकीआपनेकहाकिसभीबच्चोंकारूटीनख़राबहुआहै,वेलंबेसमयसेस्कूलनहींजापाएहैं,वेअपनेदोस्तोंयाफिरदूसरीतरहसेसोशलाइज़नहींकरपारहेहैं,खेलनेनहींजापारहेहैं।इसकेअलावावेतनावकोअपनेघर,अपनेआसपास,टीवीऔरसोशलमीडियापरमहसूसकरसकतेहैं।खासतौरसेकोविडकीदूसरीलहरकेदौरानहमनेअपनेदेशकीजैसीतस्वीरेदेखी,उसकाअसरबच्चोंकेमानसिकस्वास्थ्यपरभीपड़ाहै,उनकेअंदरभीवोडरहै।इसमहामारीनेहमेंसिखायाकिबच्चोंकेतरफध्यानदेनाअबऔरभीज़रूरीहोगयाहै।बच्चोंकोऔरउनकेमानसिकस्वास्थ्यकोसमझनेकीज़रूरतहै।हरउम्रकेबच्चेकेलिएयहज़रूरीहै,छोटेबच्चोंकोस्क्रीनकेसामनेबिठादेनाकाफीनहींहै,उनसेबातकरें,उन्हेंमौजूदाहालकोसमझनेमेंमददकरें।बड़ेबच्चेभीअपनेपरिवारकोतनावमेंदेखखुदतनावझेलरहेहैं,इसलिएउनसेबातकरनाज़रूरीहै।
रिसेंटटाइमतकमेंटलहेल्थपरपब्लिकलीशायदहीकिसीतरहकीचर्चाहोतीथी।इसमेंकिसतरहकाचेंजआयाहै?
डॉ.सौमित्र:पहलेहमेंलगताथीकिमानसिकस्वास्थ्यसेजुड़ीपरेशानीदूसरेलोगोंकोहोतीहै,हमेंनहींहोसकती।महामारी,लॉकडाउनऔरफिरदूसरीलहरमेंहमेंसमझआयाकिमानसिकस्वास्थ्यसेजुड़ीपरेशानीकिसीकोभीहोसकतीहै।हमेंहोरहीहै,परिवारमेंऔरदोस्तोंकोभी,इसलिएअबइसबारेमेंचर्चाभीकीजारहीहै।2016मेंबैंग्लोरकीएकसंस्थानेएकसर्वेकियाथा,जिसमेंउन्होंनेपायाकिदेशभरमें150मिलियनलोगहैं,जोमानसिकस्वास्थ्यसेजुड़ीबीमारियोंसेजूझरहेथेऔरइसमेंसे80-85प्रतिशतलोगोंकाकोईट्रीटमेंटनहींहुआथा।यानीमेंटलहेल्थकीसमस्याकोईनईनहींहै।अबभीजोचर्चाहोरहीहै,उसमेंबच्चेनहींहैं,वोबुज़ुर्गोंकेबारेमेंहैकिवेअकेलेपड़गएहैं,याफिरजिनलोगोंनेमहामारीकेदौरमेंअपनीनौकरीगंवाई।बच्चोंकेबारेमेंकमसोचाजारहाहैऔरबच्चोंमेंयहडरज़िंदगीभरकेलिएभीरहसकताहै।इसलिएबेहतरहैकिहमइसकेइलाजसेज़्यादाइससेबचावपरकामकरें।
पैनडेमिककीवजहसेस्कूलबंदहोनेऔरपढ़ाईबाधितहोनेसेबच्चोंपरकिसतरहकाप्रभावदेखनेकोमिलरहाहै?
डॉ.यास्मीन:महामारीकीवजहसेसाल2020मार्चसेस्कूलबंदहैं,आपखुदसोचिएजबआपछोटेथेतबअगरआपएक-डेढ़सालतकस्कूलनहींजातेतोकैसालगता।स्कूलोंकाइतनेलंबेसमयतकबंदरहनेसेबच्चोंऔरउनकेपरिवारपरबड़ाअसरपड़ाहै।स्कूलबंदहोनेसेबच्चेकैसेचीज़ेंसीखेंगे,एप्सऔरकईप्रोग्रेमशुरूहुएहैं,लेकिनइसकीपहुंचसभीबच्चोंतकनहींहै।शहरीऔरग्रामीणक्षेत्रकेबीचएकडिजिटलविभाजनजैसाहोगयाहै,साथहीयेविभाजनलड़कोंऔरलड़कियोंकेबीचभीहै।इसकेलिएहमनेअसम,बिहार,गुजरात,मध्यप्रदेश,केरलऔरउत्तरप्रदेशजैसे6राज्योंमें10हज़ारबच्चों,उनकेमां-बापऔरटीचर्सपरएकस्टडीकीथी।इसमेंहमनेपायाकिसिर्फ60प्रतिशतबच्चोंकेपासहीमोबाइल,टैबयालेपटॉपजैसीचीज़ेंउपलब्धहैं।इनमेंसे80प्रतिशतबच्चेमहसूसकररहेहैंकिवेऑनलाइनक्लासेज़सेकुछसीखनहींपारहेहैं।यानीवेस्कूलजानेसेजितनासीखरहेथे,उतनाअबनहींसीखपारहेहैं।इसकेअलावाहमनेदेखाकि10प्रतिशतबच्चोंकेपासनटीवी,लेपटॉप,रेडियो,टैब,कम्यूटर,मोबाइलजैसीकोईचीज़नहींहै।जिनकेपासहैंउन्हेंउसकासहीतरीकेसेइस्तेमालनहींआताहैयानी45प्रतिशतबच्चोंकोऑनलाइनक्लासेज़काफायदानहींपहुंचपारहाहै।इसकेबादप्राथमिकऔरमाध्यमिकस्कूलके33प्रतिशतबच्चोंनेमहसूसकियाकिउनकामानसिक,सामाजिकऔरभावनात्मकस्वास्थ्यप्रभावितहुआहै।
आपपूरीबातचीतयहां देखसकतेहैं: