नयीदिल्ली,12दिसंबर(भाषा)केंद्रनेउच्चतमन्यायालयकोबतायाहैकिभारतदेशकेलोगोंपरजबरनपरिवारनियोजनथोपनेकेसाफतौरपरविरोधमेंहैऔरनिश्चितसंख्यामेंबच्चोंकोजन्मदेनेकीकिसीभीतरहकीबाध्यताहानिकारकहोगीएवंजनसांख्यिकीयविकारपैदाकरेगी।स्वास्थ्यमंत्रालयनेशीर्षअदालतमेंपेशहलफनामेमेंकहाकिदेशमेंपरिवारकल्याणकार्यक्रमस्वैच्छिकहैजिसमेंअपनेपरिवारकेआकारकाफैसलादंपतीकरसकतेहैंऔरअपनीइच्छानुसारपरिवारनियोजनकेतरीकेअपनासकतेहैं।उसनेबतायाकिइसमेंकिसीतरहकीअनिवार्यतानहींहै।भाजपानेताएवंअधिवक्ताअश्विनीकुमारउपाध्यायकीजनहितयाचिकापरप्रतिक्रियामेंयहबातकहीगईहै।याचिकामेंदिल्लीउच्चन्यायालयकेउसआदेशकोचुनौतीदीगईथीजिसमेंअदालतनेदेशकीबढ़तीआबादीपरनियंत्रणकेलिएदोबच्चोंकेनियमसमेतकुछकदमोंकोउठानेकीमांगकरनेवालीउनकीयाचिकाखारिजकरदीथी।मंत्रालयनेकहाकि‘लोकस्वास्थ्य’राज्यकेअधिकारकाविषयहैऔरलोगोंकोस्वास्थ्यसंबंधीपरेशानियोंसेबचानेकेलिएराज्यसरकारोंकोस्वास्थ्यक्षेत्रमेंउचितएवंटिकाऊतरीकेसेसुधारकरनेचाहिए।इसमेंकहागया,‘‘स्वास्थ्यक्षेत्रमेंसुधारकाकामराज्यसरकारेंप्रभावीनिगरानीतथायोजनाओंएवंदिशा-निर्देशोंकेक्रियान्वयनकीप्रक्रियाकेनियमनएवंनियंत्रणकीखातिरविशेषहस्तक्षेपकेसाथप्रभावीढंगसेकरसकतीहैं।’’उच्चन्यायालयनेतीनसितंबरकोयाचिकाकोखारिजकरतेहुएकहाथाकिकानूनबनानासंसदऔरराज्यविधायिकाओंकाकामहै,अदालतकानहीं।उक्तयाचिकामेंकहागयाथाकिभारतकीआबादीचीनसेभीअधिकहोगईहैतथा20फीसदीभारतीयोंकेपासआधारनहींहै।