हरभारतीयकोसोनालुभाताहै.लेकिनअबइसकेप्रतिलोगोंकीलालसाकादेशकेवित्तीयबाजारोंपरअसरमहसूसकियाजासकताहै.इसपीलीधातुकोखरीदनेपरबढ़तेखर्चनेवित्तीयबाजारोंकोपीछेछोड़दियाहै.
साल2012केपहलेढाईमहीनोंमेंभारतमेंसोनेकीखरीदारीलगभग35फीसदीबढ़गई.इसकाअसरदिखादूसरीसंपत्तियों,जैसेजमीन-जायदाद,शेयरोंऔरम्यूचुअलफंड्समेंहोनेवालेसालानानिवेशपर.इसकानतीजायहहैकिदेशकीबचतमेंसेंधलगरहीहै.यहांतककिभारतकीआर्थिकप्रगतिपरभीखतरामहसूसहोनेलगाहै.
भारतदुनियाभरमेंसोनेकासबसेबड़ाखरीदारहै.वैश्विकसलाहकारमैकिंजीऐंडकंपनीकेमुताबिकयहांसोनेकाभंडार(भूमिकेऊपर,यानीजोखानोंमेंहैउसेछोड़कर)18,000टनकाहै.इसकीकीमतकितनीहोगी?बस40लाखकरोड़रु.सेकुछज्यादा.यहअमेरिकीफेडरलरिजर्वकेपासपड़ेसोनेकेभंडारकालगभगदोगुनाहै.यहसारीसंपत्तिगहनों,सिक्कोंऔरपट्टियों(बार)केरूपमेंलोगोंकेघरोंकीतिजोरियोंमेंपड़ीरहतीहै.सरकारचाहेगीकिलोगोंकीबचतकानिवेशज्यादाउत्पादकसंपत्तियोंमें,जैसेशेयरोंऔरम्यूचुअलफंड्समेंहोक्योंकिइससेविकासदरबढ़ेगी.
मॉर्गनस्टेनलेमेंवरिष्ठअर्थशास्त्रीचेतनआह्याकहतेहैं,'अगरभारतीयोंनेयहीनिवेशअन्यसंपत्तियोंमेंकियाहोतातोदेशकीसालानाविकासदर0.4फीसदीज्यादाहोती.'उनकाकहनाहै,'40लाखकरोड़रु.कीबचतकोसोनेमेंडालकरछोड़देनेसेजीडीपीमेंअबतककानुकसानआंकाजाएतोयहबहुतबड़ीरकमहोतीहै.सोनेमेंनिवेशलगातारबढ़ाहै,जबकिशेयरबाजारमेंनिवेशमेंकाफीकमीआईहै.'
अर्थशास्त्रियोंनेयहचेतावनीभीदीहैकिसोनेकीमांगकोपूराकरनेकेलिएबढ़तेआयातकीवजहसेभारतकोबहुमूल्यविदेशीमुद्राखर्चकरनीपड़तीहै.सोनेकाआयात2011में2.2लाखकरोड़रु.रहा.कच्चेतेलकेबादसबसेज्यादाखर्चसोनेकेआयातपरहीहुआ.यहरकमजीडीपीकी2.1फीसदीऔरगैर-तेलआयातकी13फीसदीहै.
उद्योगसंगठनएसोचैमकाआकलनहैकिभारतकासोनेकाआयात2015-16तकबढ़कर5लाखकरोड़रु.कोछूसकताहै.जाहिरहैकिइससेचालूखातेकाघाटाबढ़ेगा.एसोचैमकेमहासचिवडी.एस.रावतकहतेहैं,'सोनेकेप्रतिभारतीयोंकीयहअसाधारणलालसाखत्महोनीचाहिए.सरकारकोचाहिएकिवहलोगोंकीबचतकोदूसरेवित्तीयसाधनोंकीओरलेजानेकेलिएबड़ेस्तरपरजानकारीदेनेकाअभियानचलाएऔरप्रोत्साहनदे.ऐसेवित्तीयनिवेशकेलिएडाकघरोंमेंमौजूदनिवेशकेतरीकोंकाभीप्रयोगहोसकताहै.'
एचडीएफसीबैंककेमुख्यअर्थशास्त्रीअभीकबरुआइसबातसेसहमतहैं.उनकामाननाहैकिशेयरबाजारमेंनिवेशकोलेकरभारतीयोंमेंएकडरबैठाहुआहै,जिसकेचलतेवेअपनेधनकानिवेशसोनेमेंहीकरतेरहतेहैं.बरुआकहतेहैं,'यहबातसमय-सिद्धहैकिसोनामंदीकीस्थितिमेंसुरक्षादेताहै.लेकिनभारतीयोंकोयहजरूरसमझनाचाहिएकिसोनेमेंनिवेशपरहमेशासुरक्षितलाभकीगारंटीनहींहोती.बाजारमेंऐसेकईसाधनउपलब्धहैं,जिनकेजरियेलोगअपनीबचतसेफायदाउठासकतेहैं.'
बढ़तीमहंगाईकेचलतेलोगोंकेहाथमेंखर्चयानिवेशकरनेलायकपैसाघटाहै.भारतकीघरेलूबचतदरसाल2010-11मेंघटकरजीडीपीके9.7फीसदीपरआगई.पिछलेवित्तवर्षमेंयहदर12.1फीसदीथी.यहपिछले13वर्षोंकीसबसेखराबस्थितिहै.पिछलीबारजीडीपीके10फीसदीसेकमशुद्धघरेलूबचतदर1997-98मेंथी,जबयह9.6फीसदीरहगईथी.
मार्चमेंभारतीयरिजर्वबैंक(आरबीआइ)नेअपनीएकरिपोर्टमेंकहाकिशेयरबाजारमेंलोगोंकानिवेशबहुतकमहै,क्योंकिलोगोंमेंइसेलेकरएकदमबेरुखीहै.आरबीआइकेपूर्वगवर्नरवाइ.वेणुगोपालरेड्डीकहतेहैं,'संभावनायहीहैकिआमभारतीयसोनेकोएकलोकप्रियनिवेशकेरूपमेंदेखनाजारीरखेंगे.इसस्थितिकोदेखकरतुरंतकदमउठानाजरूरीहै.यहीपैसाजमीन-जायदादयाशेयरबाजारकोमजबूतीदेनेकेलिएभीइस्तेमालकियाजासकताहै.'
थॉमसनरॉयटर्सकेआंकड़ेदिखातेहैंकिसोनेमेंनिवेशकरनेवालेफंडोंकाप्रदर्शननिवेशकेबाकीज्यादातरविकल्पोंसेकहींबेहतररहाहै.एक्सचेंजट्रेडेडफंड(ईटीएफ)या'कागजीसोने'मेंनिवेशकोंको15.2फीसदीकालाभमिलाहै.भारतमेंगोल्डईटीएफकानिवेश2011-12में15टनकारहाऔरसालभरमेंइसकेदोगुनाहोजानेकीसंभावनाहै.